म.प्र.राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग

भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 1990 में इंदिरा साहनी तथा अन्य विरूद्ध भारत का संघ, में दिए गए निर्देश के पालन में मध्यप्रदेश शासन द्वारा 13 मार्च 1993 को राज्य स्तरीय मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया, जिसकी अधिसूचना क्रमांक एफ-12-21-पच्चीस-4-92, मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 15 मार्च 1993 में प्रकाशित की गई एवं मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2021 से दिनांक 03 अप्रैल 2021 को मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1995 में संशोधन किया गया ..

मुख्य कृत्य

पिछड़े वर्गो के सदस्यों को संविधान के अधीन तथा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन दिये गये संरक्षण के लिये हितप्रहरी आयोग के रूप में कार्य करना और पिछड़े वर्गों के अधिकारों एवं रक्षोपायों से वंचित किए जाने से संबंधित शिकायतों की जांच करना; पिछड़े वर्गो के कल्याण के लिए बने कार्यक्रमों के समुचित तथा यथा समय कार्यान्वयन की निगरानी करें तथा राज्य सरकार अथवा किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण के कार्यक्रमों के संबंध में,जो ऐसे कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार हैं,सुधार हेतु सुझाव दें; लोक सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण के संबंध में सलाह दें; पदों पर नियुक्तियों के आरक्षण का उपबंध करने के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तैयार की गयी सूचियों में किसी भी नागरिक को पिछड़ा वर्ग के रूप में सम्मिलित करने की प्रार्थनाओं का परीक्षण करना और ऐसी सूचियों में किसी पिछड़े वर्ग को पात्र न होने पर भी सम्मिलित करने या पात्र होने पर भी सम्मिलित न करने की शिकायतों को सुनें और राज्य सरकार को ऐसी सलाह दें जैसी कि वह उचित समझे; पिछड़े वर्ग में,सम्पन्न वर्ग (क्रीमीलेयर) के अन्तर्गत आने वाले व्यक्ति या समूह के प्रवर्ग सुनिश्चित करें..